क्या फ़ायदा?
- Muskaan Chowdhry
- Jun 27, 2018
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हर किसी की शख़्सियत एक समान नहीं होती।
देखा जाए तो इंसान की भी कोई एक शख़्सियत नहीं होती है । हम हर पल बदलते हैं, हमारा सही- ग़लत वक़्त के साथ बदलता है, हमारी पसंद- नापसंद भी रोज़ बदलने की क़ाबिलियत रखती है। पर हम अपने ही किसी पुराने अक़्स को ज़िंदा रखने की चाहत में जुड़ जाते हैं।
पता नहीं कि सही क्या है, क्या हर बार दिल की निजी बात ज़ाया करनी चाहिए याँ क़ायदे में रहकर ही इज़्ज़हार करना चाहिए?
सोचा जाए तो ठीक ही तो है- बोल-चाल ने, लफ़्ज़ों के खेल ने ही तो इंसान को डुबो दिया है।
मगर चुप्पी ने जंग जीत ली - ऐसा भी आज तक कहीं सुनाई नहीं दिया है|
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